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महिलाओं ने वट-पूजा कर पति के लिए लंबी आयु मांगी

महिलाओं ने वट-पूजा कर पति के लिए लंबी आयु मांगी

अनपरा/सोनभद्र - अनपरा क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों एवं वट वृक्ष के नीचे कुमाऊंनी परिधानों में सजधजकर पहुंची महिलाओं में वट सावित्री व्रत की पूजा को लेकर उत्साह देखने को मिला। अनपरा तापीय परियोजना आवासीय परिसर स्थित शिव मंदिर में सुबह पांच बजे से ही महिलाओं का तांता लग गया। महिलाओं ने वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा कर लाल कलावा बांधा और व्रत कथा सुनीं। पूजन संपन्न करने के बाद महिलाओं ने पति को तिलक लगाया और जमकर सेल्फी खिंचवाई। यही नजारा अनपरा क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों और वट वृक्षों पर देखने को मिला। 

ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे ही अपने मृत पति के जीवन को वापस पाया था। यमराज को अपने साधना से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं।


माना जाता है कि इस दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वट सावित्री व्रत कथा सुनने की भी परंपरा है। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों की माता होने का वरदान मांगा था। यमराज ने उसे एक वरदान दिया, जिसके कारण सत्यवान का जीवन उन्हें वापस करना पड़ा क्योंकि सत्यवान के बिना सावित्री 100 पुत्रों की माता नहीं बन सकती थी।
इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में देवताओं का वास होता है। बरगद की जड़ में भगवान ब्रह्मा, छाल में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव निवास करते हैं। इस कारण से भी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वनवास में थे, तब वे तीर्थराज प्रयाग में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में गए थे। वहां उन्होंने वट वृक्ष की भी पूजा की। यही वजह है कि बरगद के पेड़ को अक्षयवट भी कहा जाता है।


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